Projects
ATMA project
This programme was launched in P.S. Sanchore of District Jalore in 15 Gram Panchyats or 28 villages in which 445 farmers were given information about how soil testing be done before sowing of Ravi & Kharif crops by the experts of Department of Agriculture and also how to use fertilizers. The technique of water conservation & fencing in the fields, tanka construction in most of the villages for providing drinking water. It was done under a campaign. Farmers were encouraged to do plantation for saving the environment and a committee of development for villages was constituted. With theassistance of the Department of Agriculture of Dholpur district Agri. Interest Groups (Were constituted of the farmers of Block Bari & Dholpur. The programmes of training of farmers & Inter State & Inter Dist. training & tours, farmers conferences and farmers Interest programmes will organized successfully.
Knowledge & importance of toilet construction was given support to the 150 BPL families of Block Sanchor of Jalor & Awaking of rain water harvesting , “tanka” construction in most of the villages for providing drinking water. It was done under a campaign. Farmers were encouraged to do plantation for saving the environment and a committee of development for villages was constituted.
Women groups of district jalor were given information about RTI, STI, Sex organ infection HIV AIDS prevention, meeting of shg,s members& girls was organized for better understanding of the danger of AID 1605 women of shg were given information about breast cancer uterus cancer, Sex organ infection.
This programme was launched in P.S. Sanchore of District Jalore in 19 Gram Panchyats or 40 villages in which 856 farmers were given information about how soil testing be done before sowing of Ravi & Kharif crops by the experts of Department of Agriculture and also how to use fertilizers. The technique of water conservation fencing in the fields.
The Organization Implementing Gopal & Pashu Samrdhi Kendra for Artificial Insemination of livestock of the BPL and other families with the under Govt. Project. The gopal centers of animal breed improvement activity was conducted and all possible facilities were provided to the families of economically backward persons by the our center incharge.
The Organization Implementing Gopal & Pashu Samrdhi Kendra for Artificial Insemination of livestock of the BPL and other families with the under Govt. Project. The gopal centers of animal breed improvement activity was conducted & facilities were provided TO FARMERS.
A.I. Centers Achievements-
Sr. N. |
Name of Distt. |
No. of total Centers |
No. of A.I. animals |
Castration |
Vaccination |
De-warming |
P.D. |
General Treatment |
|
1 |
Dholpur |
56 |
6776 |
1680 |
11104 |
3850 |
2033 |
8102 |
|
2 |
Bharatpur |
15 |
1875 |
465 |
2700 |
1050 |
563 |
1198 |
|
3 |
Jalore |
25 |
3250 |
800 |
4625 |
1775 |
975 |
2458 |
|
4 |
Pali |
40 |
5040 |
1320 |
7811 |
2760 |
1512 |
6010 |
|
5 |
Churu |
40 |
5080 |
1360 |
7280 |
2880 |
1524 |
6125 |
|
6 |
Sawai-madhopur |
25 |
3275 |
900 |
4811 |
1875 |
983 |
2595 |
|
7 |
Sikar |
34 |
4352 |
1258 |
6426 |
2482 |
1306 |
3159 |
|
8 |
Baran |
16 |
2160 |
480 |
3088 |
1168 |
648 |
1181 |
|
9 |
Junjunu |
7 |
903 |
224 |
1393 |
546 |
271 |
995 |
|
10 |
Udaipur |
50 |
6800 |
1550 |
9416 |
3915 |
2040 |
7865 |
|
11 |
Chittorgarh |
15 |
1890 |
480 |
2745 |
1230 |
567 |
1178 |
|
12 |
Rajsamand |
10 |
1240 |
360 |
1880 |
830 |
372 |
1005 |
|
13 |
Badmer |
10 |
1360 |
380 |
1950 |
790 |
408 |
1046 |
|
14 |
Jodhpur |
15 |
1875 |
540 |
2865 |
1290 |
563 |
2101 |
|
|
358 |
45876 |
11797 |
63613 |
4481 |
26441 |
45018 |
It is necessary to highlight the specific problems in the western Rajasthan when the project of MPOWR was undertaken. It is a desert area with very thin and scattered population, small helmets, with very poor road connectivity low literacy & economically poor region. Agriculture crops by & large depend on the rains where the drought situation is frequent, cattle raising – cow,
goats sheep & cows. Contacting people of the target groups and conducting meeting is a major problemS.
The MPOWR project was financed by the IFAD (International Fund for Agri. Development and Ratan Tata Trust= as a partner Inter se Agreement. The area allotted to our NGO was Block Sanchore of District Jalore where we worked in 19 gram panchyats, 61 villages. We Regular Activity Implementing 450 self Help groups (SHGs) of targeted womens. As many as 4653 women were given help in the areas of Agriculture, cattle raising, Non form sector activities to generate income to eliminate poverty. The basic & focus was on women’s empowerment & poverty alleviation. The main thrust was to improve the quality of the people by opening new horizons of development. The women’s groups were motivated and helped to start saving halts and attend regularly the meetings of the group. It was not possible without regular guidance by our field workers. Besides, the quality of training that was provided to these SHG’s .
Funding Agency IFAD representative take review meeting with SHG MEMBER & project Sanchor.
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- आई माता स्वयं सहायता
गठन दिनांक :- 24ण्01ण्2013
मैं जड़ाव देवी पत्नि श्री जगदीषराम मेघवाल गांव टिटोप ग्राम पंचायत सुरावा तहसील सांचैर जिला जालौर से हूं मैं एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेषन द्वारा संचालित आईमाता स्वयं सहायता समूह की सदस्य हूँ।
किराणा एवं फोटो स्टेट दुकान
मेरे सास, ससुर द्वारा मना करने के बावजूद भी भमरीदेवी ने मुझे समूह में जोड़ा तथा जब भी मीटिंग में जाती तभी मेरे सास, ससुर मीटिंग में जाने से रोकते तो भी मैं चुपके से बैठक में चली जाती तथा जल्दी आ जाती थी। एक बार मेरे पति ने आटा चक्की लगाने का विचार तो रूपयों की कमी के कारण सेठ-साहुकारों के घर पर तीन से चार बार चक्कर काटने के बाद भी 15000/- रूपये का इंतजाम नहीं हो सका तथा इस कार्य को नहीं कर सके। मैं समूह की बैठक में गई तो वहां पर मैंने समूह की सदस्यों के सामने मेरे परिवार की स्थिति के बारे में बताया साथ ही पति द्वारा आटा चक्की लगाने की चर्चा की तथा 15000/- रूपये समूह से लेने का प्रस्ताव रखा। समूह की बैठक में मुझे 15000/- रूपये देने के प्रस्ताव पर सभी महिला सदस्यों ने सहमति प्रदान की। इसी बैठक में मुझे 15000/- रूपये 10 किष्तों में समूह से आंतरिक ऋण के तहत दिये गये जिसका ब्याज 12 प्रतिषत की दर से अन्य सेठ-साहुकारों द्वारा लिये जाने वाले ब्याज की दर 36 प्रतिषत देना पड़ता है जो इनकी तुलना में 3 गुना कम है तथा जैसे ही मिटिंग समाप्त हुई तो मैं घर पहुंची। सास, ससुर व पति मुझे देखकर क्रोधित हुए, तो मैंने 15000/- रूपये घर पर दे दिये, तथा समूह से ऋण लेने सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी बताई, तब जाकर मेरे सास, ससुर व पति मुझ पर क्रोध करना बन्द कर दिया। दूसरे दिन मेरे पति बाजार जाकर आटा चक्की खरीद कर लाये। प्रारम्भ में 100 रूपये बचत के समूह में जमा करवाने के लिए देते थे, मुझे समूह की बैठक में जाने से कभी नहीं रोका तथा मुझे प्रेरित करते रहे कि बहु आज आपके समूह की बैठक है उसमें जाओ तथा अपने ऋण की किष्त भी जमा करवा दो। इस प्रकार से मैंने समूह की सम्पूर्ण किष्तों को जमा करवा दी तथा मैंने समूह से दुबारा ऋण लिया जिससे किराणा की दुकान की। अब मैं आटा चक्की के साथ साथ किराणा की दुकान भी चलाती हूँ। जिससे मुझे अच्छी आमदनी होती है और मेरा आजीविका का साधन हो गया। मेरे परिवार का ठीक तरह से पालन पोषण कर रही हूँ। इस प्रकार से नियमित बचत करने की आदत बनी।
आटा चक्की दुकान।
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- सोमेष्वर स्वयं सहायता समूह
गठन दिनांक :- 02ण्03ण्2013
मैं सीता देवी पत्नि श्री उकाराम जोगी (बासफोड़) ग्राम टिटोप ग्राम पंचायत सुरावा तहसील सांचैर जिला-जालौर से हूँ तथा एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेशन संस्था द्वारा संचालित सोमेष्वर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हूँ। इस समूह में सभी बांसफोड़ महिला सदस्य है। हम बांस की टोकरिया बनाकर बाजार में बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते है। हमें इन टोकरियों को बनाने के लिए बांस खरीदना पड़ता है। जिसके लिए हम सेठ-साहुकारों से ब्याज पर रूपये लेते है व इसके बदले में अपने गहनों को गिरवी रखने पड़ते थे तथा समय पर ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है यदि किसी कारणवष समय पर भुगतान नहीं होने की स्थिति में हमें कुल राषि की दुगुनी तथा तिगुनी राषि अदा करनी पड़ती है। जिससे हमारे परिवार की आय कम हो जाती है तथा उसी कम आय से परिवार को गुजारा करना होता है जो दिनों दिन गरीबी की हालत में बिताना पड़ता है। मैं जब समूह में जुड़ी तभी मेरे पति के हाथ कड़े (चांदी) साहुकार के पास दो वर्ष से गिरवी रखा हुआ था, क्योंकि 36 प्रतिषत वार्षिक ब्याज देना पड़ता था। मैंने समूह से ऋण लेकर बास खरीदकर टोकरियां बनाई तथा इन्हें बेचकर मेरे पति का हाथ कड़े (चांदी) साहुकार से छुड़ाकर लाई तथा जैसे जैसे आमदनी बढती गई मैं समूह की किष्तों को भरती गई इस प्रकार से समूह की सम्पूण किष्तों को जमा करवा दी।
प्रारम्भ में 50 रूपये की बचत करते थे इस प्रकार समूह के संचालन से प्रेरित होकर नियमित बचत करने लगी तथा अब 50 रूपये के स्थान पर 100 रूपये नियमित बचत करने लगे व बचत के महत्व को समझने के बाद हमने 200 रूपये बचत करना प्रारम्भ कर दिया। परियोजना के कार्यकर्ता के साथ विचार विमर्ष करने से हमें सरकारी योजनाओं की विभिन्न परियोजनाओं के बारे में सीखने को मिला तथा मैंने दूसरी बार समूह से ऋण लेकर दो बकरियां खरीदी जिससे मेरे घर पर बच्चों के लिए दूध का इंतजाम हो गया था शेष दो-दो लीटर दूध को प्रतिदिन डेयरी पर भरवा देती थी जिससे मेरे समूह की किश्तों को आसानी से जमा करवा देती थी। इस प्रकार सारी किश्तों को जमा करवायी तथा मैंने समूह से तीसरी बार ऋण लेकर ज्यादा मात्रा में बांस खरीद कर टोकरियां बनाई तथा इनको घर घर जाकर बेच कर समूह के ऋण किश्तों को भरती गई इस प्रकार से समूह के माध्यम से मेरी आजीविका में वृद्धि हुई तथा मेरे परिवार का पालन पोषण आसानी से हो रहा है तथा मैं आज समूह से जुड़कर बहुत खुष हूँ। इसके साथ ही समूह के अन्य सभी सदस्यों के साथ मेरे जैसी ही स्थिति थी वे भी टोकरियां बनाकर अपनी आजीविका का निर्वहन करते थे तथा कच्चे माल को खरीदने के लिए सेठ-साहुकारों से 36 प्रतिषत वार्षिक ब्याज पर ऋण लेना पड़ता था तथा बाद में इन्होंने भी समूह से ऋण लेकर अपनी आजीविका में सुधार किया।
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- आईमाता स्वयं सहायता समूह
गठन दिनांक :-24ण्01ण्2013
मैं भमरीदेवी पत्नि श्री भमराराम मेघवाल ग्राम टिटोप ग्राम पंचायत सुरावा तहसील सांचैर जिला - जालौर से हूं। मैं एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेशन द्वारा संचालित आईमाता स्वयं सहायता समूह टिटोप की सदस्य हूं ।
मैं अपने जीवन से जुड़ी कुछ बाते बताना चाहती हूं कि कीस तरह से मैंने समस्याओं का सामना किया और डर पर जीत हासिल की मैंने गांव में स्वयं सहायता समूह के गठन के बारे में सुना तो मेरी भी इच्छा हुई की अपना नाम समूह से जोडु लेकिन मेरी इच्छा कैसे पूरी हो सकती बिना किसी के साथ से मैने कई बार समूह के सदस्य महिलाओं को बताया कि मैं भी इस समह की सदस्य बनना चाहती हूं हो सके तो मुझे भी अपने समूह का सदस्य बना देना। लेकिन किसी ने सहायता नहीं की ओर ना ही मेरा नाम जोड़ा। तभी मैंने मन में विचार कर लिया कि मैं अपना समूह स्थापित करूगी और महिलाओं से मिलंुगी इस समूह से जुड़ने के लिए उसी दिन से मैंने अपना काम करना प्रारम्भ कर लिया । स्वयं सहायता समूह के बारे में पूर्ण जानकारी हासिल की और देखा कि कैसे इस समूह का गठन किया जाता है और सारी जानकारी मिलने के बाद अपनी सुझ बुझ से मैंने दस गरीब महिलाओं से सम्पर्क किया और उन्हें समूह का सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित किया और मैं अपने कार्य में शत प्रतिशत सफल हुई और वे महिलाऐं समूह की सदस्य बनने के लिए मान गई। फिर क्या था मैंने अपनी सफलता की प्रथम पीढी पर कदम रखा और दस महिलाओं की सहायता से एक समूह का गठन किया जिसका नाम आई माता स्वंय सहायता समूह रखा और दिनांक 24.01.2013 को समूह का अनुमोदन करवाया गया और इसी दिन से समूह पूर्ण रूप से संचालित हो गया और इस समूह के द्वारा ग्राम की गरीब महिलाओं की सहायता होंने लगी और उन्हें आजीविका के साधन प्राप्त हुए जिनमें वे अपने परिवार के सदस्यों का पालन पोषण कर सकती है। आज भी मेरे द्वारा स्थापित किये गये समूह का ग्राम पंचायत में बहुत अच्छा चल रहा है।
मुझे घर से बाहर निकलने में डर रहता था लेकिन परियोजना द्वारा स्वयं सहायता समूह के शैक्षणिक भ्रमण के दौरान जवाजा ब्यावर, अजमेर व रायबरेली उत्तर प्रदेश में गई। वहां पर संचालित समूह की महिलाओं से विचार विमर्श किया जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला तथा इनसे प्रेरित होकर मैंने सतत् षिक्षा के माध्यम से आठवीं तक की षिक्षा प्राप्त की। मैंने सीआरपी प्रषिक्षण जोधपुर व सांचैर में भी समय समय पर भाग लिया।
जो मेरे मन में घर से बाहर निकलने तथा किसी अनजान से बात करने का डर भी कम हुआ और अब मेैं आसानी से किसी भी के सामने अपनी बात को ठीक ढंग से कह सकती है तथा समूह की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणात्मक बनी हुई है। उसी दौरान ग्राम पंचायत विरोल में स्वंय सहायता समूह का कार्यक्रम था जिसमें माननीय कलेक्ट्रर साहब उपस्थित हुए और मुझे उनके सामने भी अपनी बात रखने का मौका मिला और मेरी बात में माननीय कलेक्ट्रर साहब भी प्रसन्न हुए जिससे मुझे और आगे बढने की प्रेरणा मिली वो अवसर मेरे लिए बहुत यादगार रहा।
ये सब स्वयं सहायता समूह के द्वारा ही सम्भव हो पाया है मैं उनकी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे जीने की नई प्रेरणा दी।
एमपाॅवर परियोजना व संस्था के कार्यकर्ता ओं के सहयोग से आज मुझे जीवन जीने की शैली मिली। मैं इनकी बहुत आभारी हूं। धन्यवाद!
साईकिल रिपेरिंग की दुकान
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- रामदेव स्वयं सहायता समूह
गठन दिनांक :- 18ण्10ण्2011
मैं आम्बुदेवी पत्नि श्री प्रतापराम मेघवाल ग्राम कारोला ग्राम पंचायत कारोला तहसील सांचैर जिला - जालौर से हूं। मैं एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेषन द्वारा संचालित रामदेव स्वयं सहायता समूह कारोला की सदस्य हूं । समूह से जुड़ने से पूर्व मैं अपने घरेलु कार्य के साथ-साथ पशुपालन का कार्य करती थी, जिससे मेरे परिवार का पालन पोषण बड़ी मुष्किल से हाता था।
इसके साथ ही जब परिवार के किसी सदस्य को बिमारी से पीड़ित होने की स्थिति में हमें साहुकार लोगों के पास सोने चांदी के गहने या फिर कोई मूल्यवान वस्तु गिरवी रखकर 36 प्रतिषत वार्षिक ब्याज से ऋण लेते है। जिससे समय पर अपने परिवार के सदस्यों का इलाज करवाते है तथा परिवार का पालन पोषण करते है तथा रबी, खरीफ व जायद के खलियान के समय अनाज को बेचकर साहुकारों को ऋण का पुनर्भुगतान करते है, कई बार तो अकाल की स्थिति के कारण ऋण भुगतान नहीं होने से ऋण ब्याज का ब्याज देना पड़ता है जिससे हमारी आर्थिक स्थिति अति दयनीय होती जाती है और व्यवहारिक जीवन यापन करना कठिन हो जाता है।
मैं रामदेव स्वयं सहायता समूह ग्राम कारोला से जुड़कर एक नई पहल की। समूह की मासिक बैठक में जाना तो आसान था परन्तु 50 रूपये प्रति माह बचत के जमा करवाना कठिन ही नहीं मुष्किल भी था। कुछ समय के बाद समूह को एमपाॅवर परियोजना से 15000/- रिवोल्विंग फण्ड तथा 50000/- सीड केपीटल की राषि प्राप्त हुई उक्त राषि का उपयोग समूह में आंतरिक लेनदेन से समूह के महिलाओं की आजीविका में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। मैंने समूह से 35000/- रूपये लेकर किराणा की दुकान प्रारम्भ की जिससे प्रतिदिन 300-400 रूपये तक प्रतिदिन मुनाफा होता है तथा मुनाफे में से समूह की किश्त की राशि समय समय पर चुकाती रहती हूं व अपने दैनिक उपयोगी सामान भी खरीदकर परिवार का पालन पोषण आसानी से कर रही हूं। इसके साथ हम पहले नियमित बचत नहीं कर पाते थे परन्तु आज हम समय पर नियमित जमा करवाते है यह सब समूह से जुड़ने के बाद ही सम्भव हो पाया है। आज हम समूह के महत्व को समझ पाये है तथा समूह का आभारी है। जिसके परिणामस्वरूप का हमारे परिवार की आजीविका में वृद्धि हुई तथा परिवार की आर्थिक स्तर में काफी सुधार हुआ।
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- मल्लीनाथ स्वयं सहायता समूह
गठन दिनांक :- 19ण्11ण्2011
मैं दरियादेवी पत्नि श्री जोगाराम मेघवाल ग्राम डडूसन ग्राम पंचायत बावरला तहसील सांचैर जिला - जालौर से हूं। मैं एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेषन द्वारा संचालित मल्लीनाथ स्वयं सहायता समूह डडूसन की सदस्य हूं । समूह से जुड़ने से पूर्व मैं अपने घरेलु कार्य के साथ-साथ कृषि कार्य व पशुपालन करती थी, जिससे मेरे परिवार का पालन पोषण बड़ी मुष्किल से होता था।
इसके साथ ही जब परिवार के किसी सदस्य को बिमारी से पीड़ित होने की स्थिति में हमें साहुकार लोगों के पास सोने चांदी के गहने या फिर कोई मूल्यवान वस्तु गिरवी रखकर 36 प्रतिशत वार्षिक ब्याज से ऋण लेकर लेते है। जिससे समय पर अपने परिवार के सदस्यों का इलाज करवाते है तथा परिवार का पालन पोषण करते है तथा रबी, खरीफ व जायद के खलियान के समय अनाज को बेचकर साहुकारों को ऋण का पुनर्भुगतान करते है, कई बार तो अकाल की स्थिति के कारण ऋण भुगतान नहीं होने से चक्रवृति ब्याज देना पड़ता था जिससे हमारी आर्थिक स्थिति अति दयनीय होती जाती थी और व्यवहारिक जीवन यापन करना कठिन हो जाता था।
मैं मल्लीनाथ स्वयं सहायता समूह ग्राम डडूसन से जुड़कर एक नई पहल की। समूह की मासिक बैठक में जाकर समूह से जुड़ने के लाभ के बारे में चर्चा की जाती है तथा नियमित बचत , बैठक, आंतरिक लेनदेन, रिकोर्ड संधारण तथा सदस्य पास बुक को भी संधारित करने के बारे में भी चर्चा होती है। स्वास्थ्य षिक्षा तथा सामाजिक कुरीतियों के बारे में विस्तार बातचित की जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्र पर गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण तथा पोषाहार का लाभ लेने के लिए समझाया जाता है। इसके साथ ही एमपाॅवर परियोजना द्वारा प्रथम रिवोल्विंग फण्ड राषि 15000/- रू. दिया जाता है। तथा उसके बाद समूह का आईसीआईसीआई बैंक सांचैर से लिंकेज करवाया जाता है। जिससे बैंक समूह की बचत राषि अनुसार ऋण स्वीकृत करती है, जिससे तहत बैंक से 120000/- ऋण लिया गया। जिसका उपयोग समूह सर्वसहमति से सदस्यों को स्वरोजगार हेतु देता है। बैंक ऋण की प्रथम तीन किस्त अदा करने पर एमपाॅवर परियोजना द्वारा समूह सीड केपीटल समूह को सहायता राषि दी जाती है जिससे आंतरिक लेनदेन के माध्यम से समूह की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है। मैंने समूह से 50000/- रू. लेकर किराणा व आटा चक्की की दुकान चालु की जिसके माध्यम से प्रतिदिन 400-500 रू. मुनाफा हो जाता है। इस मुनाफे से समूह की किस्त की राषि जमा करवाती हूं समूह के माध्यम से हमें नियमित बचत करने की आदत बनी।
सफलता की कहानी
समूह का नाम:- जगदम्बा स्वयं सहायता समूह
गठन दिनांक :- 09ण्06ण्2013
मैं तुलसीदेवी पत्नि श्री गलबाराम मेघवाल ग्राम अगार ग्राम पंचायत किलवा तहसील सांचैर जिला-जालौर से हूं। मैं एमपाॅवर परियोजनान्तर्गत उर्मिद्वार फाउण्डेषन द्वारा संचालित जगदम्बा स्वयं सहायता समूह अगार की सदस्य हूं । समूह से जुड़ने से पूर्व मैं अपने घरेलु कार्य के साथ-साथ कृषि कार्य व पशुपालन करती थी, जिससे मेरे परिवार का पालन पाषण बड़ी मुष्किल से होता था।
इसके साथ ही जब परिवार के किसी सदस्य को बिमारी से पीड़ित होने की स्थिति में हमें साहुकार लोगों के पास सोने चांदी के गहने या फिर कोई मूल्यवान वस्तु गिरवी रखकर 36 प्रतिषत वार्षिक ब्याज से ऋण लेकर लेते है। जिससे समय पर अपने परिवार के सदस्यों का इलाज करवाते है तथा परिवार का पालन पोषण करते है तथा रबी, खरीफ व जायद के खलियान के समय अनाज को बेचकर साहुकारों को ऋण का पुनर्भुगतान करते है, कई बार तो अकाल की स्थिति के कारण ऋण भुगतान नहीं होने से चक्रवृति ब्याज देना पड़ता था जिससे हमारी आर्थिक स्थिति अति दयनीय होती जाती थी और व्यवहारिक जीवन यापन करना कठिन हो जाता था।
मैं जगदम्बा स्वयं सहायता समूह ग्राम अगार से जुड़कर एक नई पहल की। समूह की मासिक बैठक में जाकर समूह से जुड़ने के लाभ के बारे में चर्चा की जाती है तथा नियमित बचत, बैठक, आंतरिक लेनदेन, रिकोर्ड संधारण तथा सदस्य पास बुक को भी संधारित करने के बारे में भी चर्चा होती है। स्वास्थ्य षिक्षा तथा सामाजिक कुरीतियों के बारे में विस्तार बातचित की जाती है। आंगनवाड़ी केन्द्र पर गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण तथा पोषाहार का लाभ लेने के लिए समझाया जाता है। इसके साथ ही एमपाॅवर परियोजना द्वारा प्रथम रिवोल्विंग फण्ड राषि 15000/- रू. दिया जाता है। तथा उसके बाद समूह का आईसीआईसीआई बैंक सांचैर से लिंकेज करवाया जाता है। जिससे बैंक समूह की बचत राषि अनुसार ऋण स्वीकृत करती है, जिससे तहत बैंक से 100000/- ऋण लिया गया। जिसका उपयोग समूह सर्वसहमति से सदस्यों को स्वरोजगार हेतु देता है। बैंक ऋण की प्रथम तीन किष्त अदा करने पर एमपाॅवर परियोजना द्वारा समूह को 60000/- रू. सीड केपीटल समूह को सहायता राषि दी जाती है जिससे आंतरिक लेनदेन के माध्यम से समूह की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है। मैंने समूह से 40000/- रू. लेकर सिलाई की दुकान व मनिहारी की दुकान लगायी। जिसके माध्यम से प्रतिदिन 350-500 रू. मुनाफा हो जाता है। इस मुनाफे से समूह की किश्त की राषि जमा करवाती हूं समूह के माध्यम से हमें नियमित बचत करने की आदत बनी।
कार्यालय - उर्मिद्वार इनोवेटिव एक्सन एण्ड रिसर्च फाउण्डेषन
एमपाॅवर प्रोजेक्ट यूनिट, सांचैर
दिनांकः-
सफलता की कहानी
बाजू देवी पत्नि स्व. रमेष कुमार निवासी लालपुर जाति मेघवाल आयु 38 वर्ष ग्राम पंचायत कोड़ पिछले 03 वर्ष से अकेली महिला बिना पति की छत्र छाया के परिवार के मुखिया के रूप में अपने बच्चों सहित पालन-पोषण एवं जीवन यापन कर रही है। इसी दौरान एमपाॅवर परियोजना के तहत उर्मिद्वार फाउण्डेषन के सहयोग से एक निर्धन परिवार के समुदाय के सदस्यों का वर्ष 2011 में सरस्वती स्वयं सहायता समूह का गठन कर बाजू देवी अपनी बचत करना प्रारम्भ किया था। एवं प्रत्येक माह की समूह की बैठक में सक्रियता व नियमितता से भाग लिया, और अपनी बचत भी नियमित जमा कराई जा रही है।
यह सरस्वती स्वयं सहायता समूह श्रेणी ए मंे चिन्हित है।
बाजू देवी के परिवार की उनके पति की मृत्यु के उपरान्त मासिक आय 1000 रू. से भी कम थी, और मजदूरी नियमित नहीं मिलती थी। कृषि भूमि व पषुधन न के बराबर था। इनकी दयनीय और अतिनिर्धनता को समूह के सदस्यांे ने ध्यान में रखते हुए बाजू देवी की मांग व क्षमता के अनुसार जनरल स्टोर की एक दुकान खोलने हेतु 18 माह पूर्व समूह की बैठक में राषि 9000 रू. दिये गये। उक्त राषि से बाजू देेवी द्वारा दुकान प्रारम्भ की गई थी। उक्त दुकान से आस-पास के अधिकांष परिवार व समूह के सदस्य अपनी दैनिक घरेलू आवष्यकता की वस्तुएं खरीदते है। जिससे बाजू देवी अब प्रतिदिन 200 रू. से अधिक की आय हो रही है। इस मासिक से बाजू देवी अपने बच्चों की पढ़ाई नियमित करवा रही है। एवं बीमारी इत्यादि में इलाज कराने व खान-पान की अच्छी व्यव्स्था कर पा रही है। इसका जीवन स्तर व आर्थिक स्थिति में बेहतर सुधार हुआ है।
सफलता की कहानी
श्रीमति कमला देवी राजपूत निवासी पांचला शांति स्वयं सहायता समूह में एमपाॅवर परियोजना से उर्मिद्वार फाउण्डेषन द्वारा जोडा गया है। कमला देवी की मुख्य गली पर स्थित तुलसी किराना स्टोर के नाम से दुकान व चाय नाष्ते की रेस्टोरंेट चला रही है। इस व्यवसाय से कमला देवी प्रतिदिन 400-500 रू. अपने आय अर्जित कर लेती है। जो 15000 रू. तक मासिक आय बनती है। तथा कमला देवी के 3 लड़कियां है लड़का नहीं है। कमला देवी द्वारा यह व्यवसाय बहुत निम्न स्तर पर था, जिसके मासिक 3 वर्ष पुर्व 70-100 रू आय थी। लेकिन वर्ष 2011 में एमपाॅवर परियोजना के तहत उर्मिद्वार फाउण्डेषन संस्था भरतपुर के सहयोग से संचालित शांति स्वयं सहायता समूह ग्राम पांचला के सदस्यों द्वारा बैठक में मांग व आवष्यकतानुसार स्वरोजगार हेतु राषि 10000, 20000, 50000, एवं पिछली बैठक से पूर्व प्राप्त ऋण ब्याज सहित चुकाने पर 100000 रू. की राषि दी गई है। जिसका उपयोग श्रीमति कमला देवी ने अपने दुकान तथा चाय रेस्टोरंेट में करके सफल व्यवसायी का लाभ अर्जित किया है। जो 100 रू. से 5 गुनी आय में वृद्वि कर चुकी है एवं अपने परिवार की मुखिया के रूप मेें सुखी व खुष परिवार के साथ जीवन यापन कर रही है। इसकी जीवन की सफलता की कहानी पे्ररणादायक है।
किराणा की दुकान, पांचला।